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Tuesday, July 27, 2010

"वो मानसून का पकौड़ा"

आ छि ........आ छि .......आ छि ....अरे कैमरे क्या हुआ तुझे छिक क्यों रहा है इतना ,मन किया था न बहार मत जा बम्बई में बारिश हो रही है , वैसे तू गया कहाँ था ? मै तुम्हारी दोस्त शिरीन से मिलने वाशी उसके ऑफिस गया था वहां पंहुचा ही था की बारिश शुरू हो गई । पर एक बात है उस्ताद मज़ा खूब आया .....

वहां बगल में ही जो विश्वज्योति रेस्टुरेंट है उसकी चाय पी रहा था तो बदन में सिहरन सी दौड़ रही थी...वहां से सड़क का नज़ारा साफ दिख रहा था लोग भागे जा रहे थे बारिश से बचने के लिए और कुछ मेरी तरह दिलेर लोग भीग कर चाय पीने आरहे थे तभी शिरीन ने मुझे फोन किया पुछा कहाँ हो मैंने कहा बस चाय और पकौड़े का मज़ा ले रहा हूँ .....बस फिर क्या था कर दी फरमाइश लेते आइये मै भी भीग चूका था सो उसी बारिश में भीग कर नवी मुंबई के सेक्टर १७ स्थित शिव बिल्डिंग में चौथे तलपर पहुँच गया । वहां जब पहुच तो भीगे चूहे की तरह था आप की दोस्त भी हँसे बिना नहीं रह सकी ........

मज़े की बात तो ये है की पकौडे की और चाय की खुशबु से सभी की नाक की इन्द्रियां मचल गई और सभी दौड़ पड़े मेरी तरफ भाई ये लीजिये तौलिया और सर पोछिये लाइए ये पैकेट मुझे मुझे मुझे दे दीजिये और शिरीन जी को तो मज़ा आ रहा था उन्हें तो जैसे हंसी का दौरा आया था । कुछ ही देर में पूरा ऑफिस हम दोनों के साथ बैठा पकौड़ो का मज़ा ले रहा था, क्या पकौडे था और साथ में हो रही रिम झिम बारिश और अदरक वाली चाय । तुम भी वहां होते तो मज़ा आजाता .........

अच्छा ये बता तो वापस कैसे आया ? अरे वो शिरीन जी ने ड्रॉप किया न यहाँ तक ...मै तो अब ज़िन्दगी भर नहीं भूल सकता ये पकौड़ा आ छि आ छि .............काश मै भी वह होता सच कितना मज़ा आया होगा ये बारिश है ही ऐसी चीज़ पर मुंबई तो बारिश आते ही चिल्ला उठती है हमरे उत्तर परदेश की तरह नहीं है की सबका चेहरा खिल उठे बारिश देख कर ......

Wednesday, July 21, 2010

"हिम्मते मर्दानी - मददे झाँसी की रानी"

अरे फैज़ कहा थे तुम कितना अच्छा नाटक आ रहा था झाँसी की रानी ......."खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी "...जनता है कैमरे इस नाटक का लड़कियों के मन पर बहुत गहरा और अच्छा असर देखने को मिला है तभी ये नाटक इतने कम समय में लोकप्रिय हो गया है । आज लड़कियां रानी लक्ष्मी बाई की तरह देश के कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना चाहती है खासकर फ़ौज में भर्तीहोने के लड़कियों के जज्बे में एका एक बढ़ोत्तरी हुई है। सब घरों में लोग लड़कियों को झाँसी की रानी के किस्से सुना रहे है .......

पहले एक कहावत हुआ करती थी "हिम्मते मर्दा - तो मददे खुदा " मेरी एक दोस्त रेनू ने तो एक नई कहावत रच डाली है ये सीरियल देख कर "हिम्मते मर्दानी - मददे झाँसी की रानी " क्यों अच्छीहै न , हाँ हाँ बहुत अच्छी है और सही भी है , उस लक्ष्मी बाई ने हमें फिरंगियों के अत्याचार से बचाया था और आज की अनगिनत लक्ष्मी बाई हमें यहाँ बैठे धूर्तों से बचाएंगीजो आज हर छेत्र में विराजमान है ...............