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Thursday, March 24, 2011

कहाँ गयी गौरया

माँ माँ देखो न इस चिड़िया को क्या हुआ है .............अरे ये तो अरे ये तो गौरैया है तुझे कहाँ से मिली ? मै दालान में बैठा था तभी ये आकर आँगन में बैठी और तड़पने लगी मै इसे उठाकर आप के पास ले आया ........
मेरे और माँ के बीच अभी बाते ही चल रही थी की वो चल बसी .... शायद किसी जानवर ने उसे चोट पहुचाई थी ।
चलिए ये तो एक दुर्घटना थी ', पर हम और आप इस नन्ही सी जान का अस्तित्व मिटने पर क्यों लगे है ,आप कहेंगे की ये तो सरा सर आरोप है हमारे उपर पर यह सच है हम इस नन्ही का आशियाना उजड़ने में लगे है , जाने अनजाने हमी इसके गुनहगार है ।
जगह जगह अट्टालिकाए ,मोबाइल टावर खड़े होते जा रहे है ये पंछी कहाँ रहेगा ? दादी-नानी की कहानियों में आने वाली यह चिड़िया अब खुद कहानी बनने के कगार पर खड़ी है । आज बनारस , लखनऊ , रायबरेली , इलहाबाद हर जगह इन्हें कम होते देखा जा सकता है अब ये कभी कभी ही नजर आती है । जो लोग कभी इस की आवाज़ सुन कर अपना "बिस्तर" छोड़ा करते थे , आज वो कारखानों के सायरन से उठा करते है , शायद वो मजबूर है , या फिर कुछ और ?.....

आखिर इन सब का ज़िम्मेदार कौन है सोचिये ..............?


Sunday, March 6, 2011

आह......!!! महिला दिवस


आज विश्व महिला दिवस है इसकी पूर्व संध्या पर दिल्ली मेंजो हुआ क्या वो हमारी संस्कृति और सभ्यता को शोभादेता है हाँ पुरे देश से आए लोगों ने इस अजीबमानसिकता के खिलाफ एक प्रदर्शन किया .....वो अजीबमानसिकता क्या है...लड़कियों को गर्भ में ही मौत की नींदसुला देना उसे ममता की मूरत अपनी माँ के हाथो में आनेसे पहले ही इस दुनिया के हनथो से छीन लेना। कहा का है ये इंसाफ क्या लड़कियां किसी से कम है ,आवाज़आएगी नहीं । रविवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर ‘ग्लोबल वॉक फॉर इंडियाज़ मिसिंग गर्ल्स’ के बैनर तले कई लोग इक्कठा हुए । इन लोगों का मक़सद था कन्या भ्रूण हत्या के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करना । ...
जब १९९४ में भारत सरकार ने भ्रूण हत्या के ख़िलाफ़ ‘प्री नेटल डायगनॉस्टिक टेकनीक्स एक्ट’ यानि पीएनडीटी एक्ट बनाया लेकिन यह क़ानून भी सख्ती से लागू नहीं हो पाया है। यह कानून अध्याय में भारतीय कानून कीकिताब में कही गम सा हो गया लगता है एक तरफ जहाँ हर जगह पैथोलोजियों के बहार यह स्लोगन लिखा होता हैकी ..गर्भ में भ्रूण का लिंग परिछाद करना कानूनन अपराध है वही उसके बाहर "दलाल" उन वहशी माँ-बाप से सौदातय करते अक्सर दिख जाते है जिन्हें अपनी लड़की से प्यार नहीं ......

क्या ;अद्कियाँ किसी बात में लडको से कम है क्या ...मुझे तो लगता है की यह समाज अभी भी यही सोचता है
सब बेवक़ूफ़ है क्यों करते है भारत को विकसित करने की बात इन्हें तो बस ऑफिस में बैठ के मज़ा लेना है इनकीटोपी उनके सर करना है ....समाज में क्या हो रहा है इनसे क्या मतलब .........

अफ़सोस होता है मुझेचल कैमरे चल यहाँ से कही और चलते है ....
और आप सोचिये ...,........


"अन्धविश्वास का नाश्ता "

बोलो पनिहयेवा बाबा की जय .....जय ....जय .....
बच्चो आप की परीक्छा के दिन करीब है। इसलिए आज हम आप सभी को एक ऐसे मन्त्र बारे में बताएँगेजिससे कोई भी चीज़ कंटस्थ करने के बाद आप नहीं भूलंगेइस मन्त्र को जप करने से पहले ठन्डे जल से सूर्य कीऔर मुह करके स्नान करे।

आप सोच रहे होंगे मै एक तो इतने दिन बाद लौट के आया और आते ही बहकी बहकी बात करने लगा तो बताताचलू की मेरे कैमरे की तबियत ख़राब थी वो अस्पताल में था पिछले महीनो से आज ही घर लौटा हैसुबह उसनेएक प्रथिष्ठित हिंदी दैनिक समाचार पत्र पढ़ते हुए यह मुझे सुनायामज़े की बात यह थी की उसमे एक कलम थाजिसमे लिखा था तंत्र-मन्त्र और उसमे यह समाचार था

अब बताइए अगर अन्धविश्वास इस तरह नाश्ते की टेबल पर परोसा जाएगा तो क्या होगा हमारी आने वालीशोर्ट-कट" पीढ़ी पर ,और सुनिए जब मैंने उसकी ऑनलाइन समाचार पत्र सेवा का जायजा लिया तो वहा भी यहीसमाचार मिलाहम या आप उनसे पुछेंगे की ये क्या है तो वो बोलेंगे जी ये तो विज्ञापन है हम कुछ नहीं करसकते

बताइए मुझे क्या होगा आने वाले समय में जब भारत विकसित देश होने का सपना देख रहा है, तो प्रजातंत्र का येमहत्वपुर्ण स्तम्भ हमरे देश के भविष्य को तंत्र-मन्त्र और अंधविश्वास का पाठ पढ़ा रहा है

सोचिये और मुझे बताइए क्या ये सही है जो हो रहा है .........क्या होगा हमारी उस मुहीम का जिससे हम देश कोविकसित करने का सपना देख रहे है .............
"