INDIA Blogger

Monday, December 7, 2009

" कूड़े में पाठशाला "

अरे कैमरे ये तस्वीरे कहाँ की है ???? ये है अपने यहाँ से ७० किलोमीटर दूर स्थित पूर्वांचल यूनिवर्सिटी की है , जो की एक बहुत बड़ी विद्या- संस्था है । ये बच्चे उसी के गलियारों में कूड़ा बीन रहे है। .....तुने गौर से नही देखा फैज़ इनकी पीठ पर बसते भी है, जो हमारी शिक्छा प्रणाली को मुह चिढा रहे है । ...काफी गम्भीर मुद्दा है ये की आज जिस जगह से लाखों बच्चे हर साल पढ़कर उचे-उचे पदों पर आसीन होते है उसी जगह ये प्रैम्रिय पाठशाला के बच्चे मैक्रोबायो लैब के पीछे से कचरा उठा रहे है । मेरे कैमरे ने इनसे बात करनी चाहि तो ये वहाँ से भाग गए लेकिन एक छात्रा जिसका नाम पूनम था उसने बताया की "हम यहाँ से प्लास्टिक का सामान बीन कर ले जाते है और कबाड़ी को बेचकर पैसे ले लेते है । " क्या हमारे गाँव की स्थति इतनी ख़राब है की वहां के पढने वाले छात्रों को अपनी जीवीका चलाने के लिए कूड़ा बीनना पड़ता है। मै आगे कुछ नही लिख सकता आप तस्वीरों में से इसकी भयावता को देख व समझ सकते है ................






































Saturday, December 5, 2009

"भारतीय एकता के सत्रह साल"

मेरा कैमरा आज मुझसे पूछ रहा था यार फैज़ आज ६ दिसम्बर है ना ,मैंने कहा हाँ आज कोई काला दिवस मनायेगा कोई शोर्य दिवस मनायेगा । तुम ठीक कहते हो फैज़ पर क्या किसी ने इस ध्यान दिया है की इन सत्रह सालों में हमारी एकता और अखंडता कहाँ तक पहुँची है.............
जी हाँ मेरा कैमरा सच कह रहा है क्या किसी ने इन सत्रह सालों में सोचा है की इससे हमारे देश की एकता और अखंडता को कितना नुक्सान पहुंचा है । सभी लोग चाहे वो समाज के ठेकेदार हो या फ़िर उज्वल वस्त्र धारद किए राजनेता जो सिर्फ़ इस दिन भाषद या फ़िर शोक सभा का आयोजन करते है । या फिर इन सत्रह सालों में आई गई केन्द्र या राज्य सरकार ने इस बारे में सोचा ? कभी किसी राजनेता ने इससेबात से हुए नुक्सान के बारे में कहा? नही न लेकिन हमारे ये "काठ के उल्लू" वो इससे पर भी हस्ते हुए कह देंगे की हम तो हर चुनावी भाषद में इससे बात को दोहराते है उत्तर प्रदेश में । अभी हाल ही में लिब्राहन आयोग की रिपोर्ट आई तब सभी तरफ़ चीख पुकार मच गई की हमने नही किया कुछ उन्हूने किया आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया यानि फ़िर एकता का हनन हुआ संसद जसी पवित्र जगह पर लोग आपस में लादे लेकिन क्या हुआ ,तभी आगई २६/११ की पहली बरसी सभी लोग उसपर बयान बाज़ी करने लगे और भूल गए फ़िर १९९२ के उस भारतीय एकता को डसने वाले दंश को जिसका दर्द आज तक यह भारत माँ नही भूली है । किसी ने सही लिखा था कुछ दिनों पहले अपने ब्लॉग में की लिब्रहान आयोग की जो आग एका-एक लगी थी वो २६/११ को ठंडी पड़ गई ....,....
तो आज ही सोचिये की कहाँ पहूची है हमारी एकता और अखंडता वरना बहुत देर हो जाएगी और ये नेता लोग जनता को ऐसे ही चलते रहेंगे ......

Tuesday, December 1, 2009

"क्या होगा उस महापुरुष के जाने के बाद"

मेरा कैमरा आज सुबह से टी.वी के आगे बैठा मैच देख रहा था और आंसू बहा रहा था मैंने पूछा क्या हुआ तो बोला मैसोच रहा था की क्या होगा जब क्रिकेट का यह महापुरूष संन्यास ले लेगा । सचिन रमेश तेंदुलकर या यूँ कहे की सचिन रिकार्ड तेंदुलकर तो कोई अतिश्योक्ति नही होगी ....मेरा कैमरा सत्य कह रहा है, आख़िर क्या होगा उनके बाद क्या हमारे देश में कोई और सचिन जन्म लेगा । भारत की क्रिकेट बोर्ड के आंतरिक द्वन्द को देखते हुए यह कहना मुश्किल है की उनके बाद क्या होगा ।

जिस बल्लेबाज़ को देखकर विपक्छी टीम के होश उड़ जाते थे कल कोउसकी गैरमौजूदगी में क्या हाल होगा टीम इंडिया का क्या किसी ने इस बारे में सोचा है , नही तो सोचिये क्योंकि अब ज्यादा दिन नही बचा है इस महापुरुष के संन्यास लेने में । आज जो व्यक्ति रिकार्डो के बिस्टर पर सोता जगता हो उसके संन्यास लेने के बाद उसके रिकार्डों का क़र्ज़ कौन वसूल करेगा कल यदि टीम इंडिया बिना इसके अपनी प्रसिद्धी नही साबित कर पायी तो यह हमारे लिया बहुत शर्मनाक होगा । सभी देश हमपर उंगलियाँ उठेयेंगे की हमारी टीम एक ही प्लेयर पर टिकी थी जिसके जाने के बाद सब तहस - नहस हो गया ।

कल को जब यह महान खिलाड़ी इस खेल को अलविदा कहेगा तो हमारे पास क्या होगा उसे देने के लिए तो आज ही से सोचना शुरू कर दीजिये दिलीप जी वरना बड़ी देर हो जाएगी .............