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Tuesday, March 31, 2009

आश्वासनों का दौर

गया है आश्वासनों का दौर ......

चारो तरफ़ नेताओं की भाग दौड आरम्भ हो चुकी है । सब अपने लिए वोट देने की अपीलें कर रहे है । हमारी भोली भली जनता इनके झूठे और लछेदार आश्वासनों में फसती नज़र आ रही है । यह बात कोई नई नही है .सब जानते है की ये नेताओं की पुरानी आदत है फ़िर भी उनकी बातो को मानकर उनके पीछे पीछे भागते है ।

नेता हर जगह अपने उद्बोधन में वही पुरानी बाते ही दोहराते है जैसे -इस बार अगर हम चुनाव में जीते तो बिजली के संकट से निजात दिलाएंगे ,हम सड़के हेमामालिनी के गाल जैसी बनवा देंगे ,पानी के समुचित व्यवस्था करेंगे ,गरीबों को काम देंगे ,बेरोजगारों को नौकरी दिलवाएंगे आदि-आदि ......

अगेर ये आश्वासन पुरे किए जाते तो आज हमारे देश में बेरोजगारों की इतनी लम्बी फौज न खड़ी होती .बाम्बे जैसी महानगरी में पानी की किल्लत न होती ,दुद्धी-लुम्बनी मार्ग में प्रीती जिंटा के गाल में पड़ने वाले दिएम्पल्स की तरह निशान न होता ,बनारस जैसे शहर में चौदह घंटे बिजली की कटौती न होती ...

तो फ़िर सोचिये क्या करना है अबकी बार ........क्या फ़िर इसी तरह उनके झूठे आश्वासनों का शिकार बनना है

सोच समझ के वोट करे .....क्योंकि यह देश आप का भी है

और वोट ज़रूर दे ..........ये आप का जन्मसिद्ध अधिकार है ..........

Sunday, March 29, 2009

बाप दादा देते थे इसलिए

बाप -दादा देते थे इसलिए

आज का दिन बड़ा सुहाना था ,मेरे कैमरे ने उठते ही मुझसे कहा चलो मतदान पर अपने जवान पीढी का विचार जानते है । फ़िर क्या था पहुच गए हम दोनों एक कंप्यूटर सेण्टर पर वहां हमने समीर से पुछा की आप ग्रेजुएट है इस बार किसको वोट देंगे वो बोले देना किसको है पापा जहाँ देते है वही दे दूंगा । हमने उनके पापा से संपर्क किया तो वो भी बोले वही दूंगा जहा बाबूजी देते आए है ।
कैसी विडंबना है ये आज भारत कंप्यूटर युग में पहुँच गया है और यहाँ के लोग सुसुप्त ज्वालामुखी की तरह हो गए है । जब भारत को आप के वोटो की ज़रूरत होती है तो आप सब सोते है और फ़िर एकदम से सिस्टम के खिलाफ भड़क जाते है ।
मेरे कैमरे ने मुझसे कहा फैज़ ये क्या हो गया है इस देश को आज लोग वोट देने के प्रति इतने सतर्क क्यों नही है ,मैंने कहा जाने दे ये यहाँ का राज-काज है किसी को सलाह देना भी ग़लत है ।
मेरी आप सब से अपील है वोट उसे दे जिससे हमारा देश और ज़्यादा तरक्की कर सके ।
आप नेताओ की आपसी बयानबाजी का शिकार न हो ।
उनके प्रलोभनों में ना आए ,सोच समझे के मतदान करे ,क्योंकि यह देश आपका भी है .................

Sunday, March 22, 2009

राजनीतिक हलचल

आ गया चुनाव का मौसम सब दे रहे है अपनी राय,मै भी कुछ कहना चाहता हूँ लेकिन क्या कहूं सबने तो वही बाते घुमा फिरा के की है जैसे -हमारा नेता जनता के बीच का होना चाहिए ,वो जनता का रखवाला होना चाहिए ,हमारे सुख -दुःख का साथी होना चाहिए आदि-आदि इन सब विचारों से अलग मेरा मन "सलीम खान फरीद " की एक ग़ज़ल कहने का हो रहा है ---------------

यह मतदान है प्यारे

कैसा अजब विधान है प्यारे

हर कोई हैरान है प्यारे

तेरी मर्ज़ी नही चलेगी

जब तक ये मतदान है प्यारे

कोई उस तोते को मारे

जिसमे इनकी जान है प्यारे

अफसर के घर बूढी अम्मा ,

बेमतलब सामान है प्यारे

कोई ज्ञान नही है हमको

हमको इतना ज्ञान है प्यारे

करना उसका ध्यान जगत में -

जो भी अंतर्ध्यान है प्यारे

कबीरा का ढाई आखर ही

अब तक लहू-लूहान है प्यारे

Monday, March 2, 2009

क्या आज का मीडिया सिर्फ़ पोलिस की खबरों पर आधारित है

आज जहाँ मीडिया को भारतीय सविधान में चौथे स्तम्भ की संज्ञा दी जाती है वही आज का मीडिया सिर्फ़ और सिर्फ़ खाना पूर्ति कर रहा है आज सभी मीडिया चैनलों की खबरे सिर्फ़ और सिर्फ़ पुलिसिया रिपोर्ट पर आधारित होती है कहाँ क्या हुआ इसके लिए पुलिसिया रिपोर्ट पर निर्भर होना क्या सही है ? दिल्ली में हुए बम ब्लास्ट में पकड़े गये लोगों को न्यूज़ चैनलों ने आतंकवादी बताया क्योंकि दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्ज शीट में ऐसा लिखा था वहीँ माले गाँव में हुए बम ब्लास्ट में पकड़े गये लोगों को केवल अपराधी बताया नाकि आतंकवादी क्यांकि उनके खेलाफे माले गाँव पुलिस ने यही चार्ज शीट दाखिल की थी ।
तो आप ही बताये क्या ये सही है