राष्ट्रकुल खेलो में अभी तक भरी खामिया सामने आई है , दिल्ली प्रशासन अभी भी इन सब बातो पर चुप्पी साढ़े है ,चाहे वो छत से टपकता पानी हो या फिर फुट ओवर ब्रिद्ग का गिरना । क्या खेलो के ये आयोजन सफल हो पाएँगे ...कैमरामैन सुरेश कुमार के साथ प्राची दिल्ली आ....................
उफ़ यार फैज़ कैसे होगा ये आयोजन जब हर तरफ खामियां ही खामियां है । कैमरे परीशां न हो ऐसा कुछ नहीं होगा ये दास मुंशी लोगों का खेल है वो ये नहीं दिखा रहे की कितनी भव्य तैय्यारी की है हमारी सर्कार ने इन आयोजन को सफल बनाने के लिए जिसकी बानगी कल देखने को मिली जब सी जी ऍफ़ के प्रमुख माइक फेनेल ये कह कर देश का सर गर्व से ऊँचा कर दिया की यहाँ की भव्यता तो बीजिंग को भी पीछे छोड़ देगी ।
फिर भी हमारे प्यारे दासमुंशी जी वो तो बस खमियां गिन्नाने पर तुले है क्या करे भाई पचता जो नहीं कुछ भले ही देश की मित्तिपलिद क्यों न होजे उन्हें तो बस ये दिखाना है की सरकार में कीड़ा कहाँ लगा है । भाई उनकी टी आर पीत का जो सवाल है हमारे देश की जितनी भाद हुई इन ३ महीनो में क्या कभी किसी आम जन माणूस ने ये सोचा था । कितनी आसानी से भारत की इज्ज़त को फूटबाल की तरह खेला गया और वो भी किसने समाज के एक महत्वपूर्ण स्तम्भ ने किया । कहाँ गयी न्यायपालिका क्या इन्हें रोकने का उसके पास कोई कानून नहीं है और ये दासमुंशी इतने अंधे हो चुके है की उन्हें हमारे देश की मन मरियादा का ख्याल नहीं रह गया क्या वो धरती माँ की इज्ज़त इस तरह उच्छालने के अधिकारी है । ।
आखिर कब सुधरेंगे ये लोग जो छादिक लाभ के लिए देश की अस्मिता को चोट पंहुचा रहे है ...............
बताइए मे आप सब से पूछ रहा हूँ आखिर कब तक होगा ये भारत माँ को बेईज़त करने का नंगा नाच,कब तक आखिर कब तक .........