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Wednesday, January 11, 2012

कुशवाहा या "कुल खावा"


जैसे -जैसे चुनाव नज़दीक आ रहे है दलबदलू की एक नयी जमात बनती जा रही है उसी की एक जीती

जागती तस्वीर है बाबु सिंह कुशवाहा जो जैसे ही भाजपा में आये उसके चुनावी मुद्दे को खाने लगे या यू

कहे की जब उन्हें बसपा ने निकला था तब वो साफ सुथरे नहीं थे पर जैसे ही भाजपा ने उन्हें अपने सर

माथे चढ़ाया सीबीआई ने अगले ही दिन शुरू कर दी जाँच ,अब आने लगा भाजपा के बड़े बड़े कमंडल

धारी तिलक बाबा लोगों को पसीना, अरे यह क्या हुआ ? अब तो सबका हाजमा ख़राब हो गया सभी

अपच के शिकार हो गए कोई कह रहा है की कांग्रेस की साजिश है कोई कह रहा है की ये प्रदेश की पार्टी

के लोगों की गलती है ,यहाँ तक की बड़ी बड़ी नेत्रियों ने कह दिया हमसे तो पूछा ही नहीं अब यह मुद्दा

हम कोर कमिटी की बैठक में उठाएँगे लीजिये फिर वही बच्चों वाली बात कर दी आपने अरे भाई आप

की पार्टियों की जो नीतिया था उसे तो कुशवाहा ताऊ खा गए .जैसे भ्रष्टाचारियों को टिकट नहीं देंगे साफ

सुथरी सरकार बनाएँगे आदि . ताऊ तो कुल खा गए अब का फायद उनके ऊपर इतना बखेड़ा खड़ा कर के

आप कोर कमिटी में जाएँगे ,जगह जगह पुतला जलाएँगे नारेबाजी करेंगे इससे मान किसका बढेगा

कुशवाहा ताऊ का और किसका तो चाचा भलाई इसमें ही है की अब जो हो रहा है होने दो वरना ताऊ तो

खा ही रहे है सब आप सब खुद भी खाने लगोगे .

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