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Thursday, August 6, 2009

"सर कटाने चला था वतन के लिए"

आज जब मै ऑफिस से घर पहुँचा तो मेरा कैमरा मुझसे कहने लगा फैज़ तुने अपना कुरता -पैजामा धुलवा कर प्रेस करवाया की नही ,मैंने पुछा क्यों तो वो बोला अरे पगले १५ अगस्त आ रही है । तुझे भी तो कही झंडा फहराने के लीये जाना होगा ......नही यार कल मेरी कालोनी वालों ने मुझे बुलाया था लकिन मैंने कहा की इस काम के असली हकदार हमारे कालोनी के शर्मा जी है जिनके बेटे ने इस देश की रक्छा करते हुए इस पर अपने प्राण लुटा दिए थे ,कारगिल के cमें .......वह फैज़ तू तो बड़ा समझदार निकला पर हमारे देश के नेताओं को क्या हुआ है जो झंडा फहराने के लिए इतने उतावले रहते है ,उन्हें देश के वो वीर सपूत और उनके परिवार वाले नही याद आते । क्या ? लालकिले की प्राचीर पर सिर्फ़ माननीय प्रधानमंत्री जी का ही हक है झंडा फहराने का , मै जनता हूँ मेरी इस बात से लोग कहेंगे की अरे प्रधान मंत्री ही तो तय करता है की क्या कब और कैसे होगा ताकि देश सही रूप से प्रगति के पथ पर आगे चल सके , लेकिन क्या कभी कोई प्रधानमंत्रीयुद्घ में मोर्चा सँभालने गया है या फिर उनके बच्चे याफिर कोई नेता ही ...नही न तो फिर ...............

अरे फैज़ इतना परेशान मत हो तेरी इस बात को सहमती देती हुई एक कविता किसी कवि ने पहले ही लिख दी है ,तुझे सुनाता हूँ ..............

सर कटाने चला था वतन के लिए ,कत्ल होने से पहले ही आ गया होश में ।

कोसने फिर लगा दिल को नादान है तू , पगले ये था क्या करने चला जोश में ।

मांग बीबी की सूनी पड़ जायेगी , कोख माँ की लालन से उजड़ जायेगी ।

बाजू भाई के कमज़ोर पड़ जायेंगे , साँस सरहद पे तेरी उखड जायेगी ।

पूछता हूँ तुम्ही से बता तू ऐ दिल, चाँद वर्षों पहले हुआ था कारगिल ।

राखी के दिन बहन को रुलाई मिली , .......................

जाकर पूछो ज़रा तुम शमशानों से , दश पर मर मिटे उन दीवानों से ।

तनहा उनपर थी दस-दस की जब टोलियाँ , कौन नेता गया था बचने वहां ।

शान जबकि तिरंगे की वीरों से है , कायम चमक बलिदानी हीरों से है ।

जान सरहद पर नेता गवाते नही , लाल भी इनके लड़ने को जाते नही ।

फिर तिरंगा ये नेता फहराते है क्यों , क्यों वतन के सीपाही फहराते नही .........................

4 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

एक कड़वी सच्चाई ब्यान कर दी आपने।अच्छा लिखा।बधाई।

Urmi said...

इस बेहतरीन पोस्ट के लिए बधाई! बहुत अच्छा लगा! आपने बिल्कुल सही बात का ज़िक्र किया है!

Arshia Ali said...

Katu satya.
{ Treasurer-S, T }

Vikram Thakur said...

kash in netao ko bhi sarhad or ladne ke liye bheja jata to ye vaha kam se kam vipakshi sena ko apni or mila lete . ya goli khate.to achcha hota.