अरे चचा बड़े परीशान दिखाई पड़ रहे है क्या हुआ , अरे क्या बताये बेटा मेरी गाय अब दूध नही देती । मुझे ही उसे अलबत दिन भर चारा खिलाना पड़ता है एक तो आमदनी कम दुसरे घर का खर्चा और उसपर ये बिना मसरफ की गाय क्या करून बड़ा परेशान हूँ सोचता हूँ इसे बेच कर दूसरी खरीद लूँ कम से कम उसका दूध बेचकर कुछ आमदनी तो हो जायेगी ,घर का खर्चा तो चलेगा वरना अब तो भूखे मरने की नौबत आ गई है । ..........
अरे फैज़ आज की ख़बर पढ़ी क्या ,कुछ लोगों को पुलिस ने गाऊ हत्या के जुर्म में पकड़ा है । अरे यार अब इनसे कौन कहे की अगर ये गौ हत्या करने वाले ये नही करेंगे तो और क्या करे जब एक भूख वसे मरता किसान अपनी बिसुक चुकी गए का मूल लगता है तो उसे अपने बच्चों की फ़िक्र होती हो जो भूख से तड़प रहे होते सभी धर्म ये मानते है की गौ की हत्या नही करनी चाहिए । लेकिन जब एक गरीब किसान इसे कसाई के हांथों में बेचकर अपने बच्चों के लिए भोजन खरीदता है। क्या कभी किसी ने इस बात के पीछे का मर्म जानने की कोशिश की क्यों आखिर रोज़ गौ हत्या में इजाफा हो रहा है। जब साहूकार किसी गरीब को अपने पैसे के लिए डराए गा तो वो बेचारा क्या करेगा अखीर बच्चा माँ के ही पास तो जाता है । गौ माता अपनी जान देकर अपने बच्चे की सहायता करती है ।
किंतु यहाँ सवाल उठता है की गाये बेचीं ही क्यों जाती है क्यों नही उनका समुचित रखरखाव होता । लोग अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हटकर सिर्फ़ धर्म के नाम पर सवाल खड़े करते है की उसने ऐसा क्यों किया वगैरा -वगैरा ।आज सभी महानगरों में छुट्टा पशु की समस्या बनी है ,लेकिन कोई भी इस दिशा में समुचित कदम नही उठा रहा है । जब कोई गौ माता ट्रक या बस के नीचे आकर मर जाती है तब कोई भी संस्था सामने नही आती लोग भी अपनी नाक पर रुमाल रखकर रस्ते बदल लेते है ,तो फिर पाखण्ड का ये सिलसिला सिर्फ़ एक मुद्दे पर क्यों , क्या हमारा समाज इतना खोखला हो गया है । बस इतना ही कहना चाहूँगा की आख़िर ऎसी परिस्थति आए ही क्यों की गौ माता को बेचा जाए । अगर किसी की आस्था को मेरे लिख से दुःख pahunchaa हो तो मुझे chhama करें ।
लेकिन इस बात पर sochiye और bataiye ........
5 comments:
आपकी पोस्ट ने सोचने पर मजबूर कर दिया।
आभार।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
समाज को इन यक्ष प्रश्नों का उत्तर तो देना ही होगा....बहुत सही मुद्दा उठाया है आपने।
सचमुच चिंतनीय मुद्दा है !!
इस मुद्दे पर निन्दा करना वैसा ही है जैसे हम मुह पर रुमाल रखकर रास्ते बदल लेते है।
खेर हम लोगों को बीच इस तरह का संवाद रखने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया...
मेरा लिखा पढ़ने के लिए
mastano-ka-mehkma.blogspot.com पर जाए
आशा करता हू कि हमारे बीच अच्छा संवाद रहेगा।
बहुत ही सही मुद्दे को लेकर आपने बढ़िया लिखा है! ये बड़ा चिंता का विषय है और सोचने पर मजबूर कर देता है!
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