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Saturday, January 16, 2010

"हेती को बचा लो "

उत्तरी अमेरिकी महाद्वीप के कैरेबियाई क्षेत्र के एक छोटे से देश हेती की राजधानी पोर्ट ऑफ प्रिंस गत 13 जनवरी की शाम 4 बजकर 53 मिनट पर उस समय प्रकृति की महाविनाश लीला का एक बहुत बड़ा केंद्र बन गई जबकि इस क्षेत्र को 7.3 क्षमता के भयानक भूकंप का सामना करना पड़ा। चीन में आए विश्व के अब तक के सबसे तीव्र एवं हानिकारक भूकंप के बाद हेती का यह भूकंप अब तक का दूसरा सबसे भयानक, तीव्र एवं सर्वाधिक क्षति पहुंचाने वाला भूकंप माना जा रहा है।

हेती की राजधानी पोर्ट ऑ प्रिंस से मात्र २ किलोमीटर की दूरी पर अपना केंद्र बनाने वाले इस महाविनाशकारी भूकंप की गहराई का केंद्र मात्र 13 किलोमीटर पृथ्वी के भीतर बताया जा रहा है। हेती के अतिरिक्त कैरिबियाई देशों में क्यूबा, बहामास तथा डोमिनिक रिपब्लिक जैसे देश शामिल हैं। ज्ञातव्य है कि चीन में आए भूकंप से अब तक की विश्व की सबसे अधिक क्षति हुई मानी जाती रही है। इसमें एक अनुमान के अनुसार लगभग साढ़े आठ लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी। हेती में आए वर्तमान भूकंप में हालांकि मृतकों की संख्या का अभी स्पष्ट अंदाजा नहीं हो पा रहा है। क्योंकि लगभग पूरी राजधानी खण्डहर में तब्दील हो चुकी है। आम लोगों के घरों, कार्यालयों अथवा भवनों की तो बात क्या करनी वहां के सबसे मजबूत समझे जाने वाले संसद भवन तथा संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यालय,अस्पताल,अगि्नशमन केंद्र जैसी इमारतें सभी तबाह हो गई हैं। लाखों लोगों के इन मलवों के तले दबे होने की आशंका है। फिर भी शुरुआती सूचनाओं के अनुसार 50,000 से लेकर 1 लाख तक लोग मौत के शिकार हो चुके हैं। अंदाजा लगाया जा रहा है कि मलवा साफ होने के बाद मृतकों की संख्या 4 से 5 लाख तक या इससे भी अधिक हो सकती है।
हम कह सकते है की एक बार फिर प्रकृति के सामने बौना साबित हुआ है विज्ञान सन् 2005 में आए सुनामी जैसे विनाशकारी समुद्री तूफान के बाद एक बार विश्व के वैज्ञानिक अपनी आंखे खोलते नजर आए थे। कुछ समय के लिए उस वक्त यह हलचल सुनाई दी थी कि सुनामी तथा भूकंप जैसी प्राकृतिक विपदाओं की पूर्व सूचना प्राप्त करने हेतु वैज्ञानिक पूरी गंभीरता व सक्रियता से कार्य करेंगे। परंतु लगता है ब्रह्माण्ड,चंद्रमा, मंगल ग्रह तथा आकाश गंगा जैसी अति दूरस्थ एवं रहस्यमयी समझी जाने वाली चीजों पर अपनी मजबूत पकड़ प्रदर्शित करने वाली तथा पूरे आत्मविश्वास के साथ इनके विषय में नित्य नवीनतम जानकारियां देने वाली विज्ञान भूगर्भ विज्ञान के क्षेत्र में ही असफल दिखाई दे रही है। अलबत्ता भूकंप आने के बाद यही विज्ञान इस स्थिति में अवश्य पहुंच जाती है जोकि यह बता सके कि भूकंप की तीव्रता क्या थी,भूकंप का केंद्र किस जगह स्थित था तथा धरती की कितनी गहराई में किस फाल्ट के चलते यह भूकंप आया है। परंतु हमारे वैज्ञानिक इनकी पूर्व जानकारी दे पाने में अभी तक पूरी तरह से नाकाम हैं।
आखिर कब हम बचा पाएंगे अपनों को .....!!!!!


























3 comments:

Urmi said...

आपको मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें !
बहुत ही दुखद और मार्मिक घटना है! आपने बहुत ही सुन्दर प्रस्तुत किया है तस्वीरों के साथ!

विवेक रस्तोगी said...

दुख हुआ हैती के भूकंप के बारे में जानकर

Vikram Thakur said...

nature can't deafeated its true