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Sunday, January 17, 2010

"बुझ गया मार्क्सवाद का अंतिम चिराग"

चौबीस साल मुख्यमंत्री बने रहना आसान नहीं होता। यह नामुमकिन सा काम किया ज्योति बाबू ने। देश में सबसे पहले भूमि सुधार लागू कर करोड़ों भूमिहीनों को लाभ पहुंचाया। प्रशासन को पंचायतों तक पहुंचाया। वे भद्रलोक के भी राजा थे। प्रधानमंत्री नहीं बन सके तो यह उनकी पार्टी माकपा की भूल थी। वे अपने पीछे छोड़ गए हैं ऐसी पार्टी, जिसके पास इस ऐतिहासिक भूल पर पछताने के अलावा कुछ नहीं है।
जी हाँ छह दशक तक राजनितिक परिद्रेश्य पर छाये हुए इसनेता या कहे मार्क्सवाद के महा नायक का कल नुमोनिया केकारद निधन हो गया पूरा देश शोक में डूब गया आखिर क्यों हो सब जानते थे की यह "ज्योति" जब तक जलेगीतब तक बंगाल का विकास होता रहेगाकल सभी लोग दुखी थे , इस महापुरुष के बारे में बात कर रहे थे जिसनेमरने के बाद भी अपने शरीर को रीसर्च के लिए दे दिया अब उनका दह संस्कार मंगलवार को केव्दाताल शमशानघात पर किया जायेगा। सभी लोगों ने उन्हें श्रधांजलि दी , लेकिन मुझे ऐसा लगता है की सबके पास उस महापुरुषके बारे में कहने के लिए शब्दों की कमी थी, लीजिये आप भी पढ़िए किसने क्या कहा ....

बसु ने जन नेता, सक्षम प्रशासक और विशिष्ट राजनेता के रूप में अपनी काबिलियत को साबित किया। मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद भी हर कोई उनसे व्यावहारिक सलाह लेना चाहता था। - प्रतिभा पाटिल, राष्ट्रपति

बसु को पश्चिम बंगाल के लोग दूरगामी भूमि सुधार के जरिए ग्रामीण क्षेत्र की सूरत बदल देने वाले राजनेता के रूप में याद रखेंगे। उन्हें विकेंद्रीकृत शासन व्यवस्था के लिए भी याद रखा जाएगा। - मनमोहन सिंह, प्रधानमंत्री

बसु एक महान नेता थे। उन्होंने लंबे समय तक पश्चिम बंगाल में माकपा के गढ़ को मजबूती से संभाले रखा। विचारधाराएं अलग होने के बावजूद उनकी महानता के कारण मैं उनका सम्मान करता हूं। - लालकृष्ण आडवाणी, नेता,भाजपा

संभवत: समकालीन राजनीति में उनके जैसी करिश्माई हस्ती कोई और नहीं है। वास्तव में वह पहली संप्रग सरकार के शिल्पकार थे जिसे वाम दलों ने बाहर से समर्थन दिया। - प्रणव मुखर्जी, वित्त मंत्री

बसु के निधन से वामपंथी और लोकतांत्रिक आंदोलन को करारा झटका लगा है। पूरे देश में वाम और लोकतांत्रिक आंदोलन को विस्तार देने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। - बुद्धदेव भट्टाचार्य, मुख्यमंत्री, प. बंगाल

वह कद्दावर राजनीतिक शख्सियत थे। पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चे की सरकार के गठन में उन्हीं की भूमिका थी। वह वाम मोर्चा सरकार और वाम आंदोलन का पहला और आखिरी अध्याय थे। - ममता बनर्जी, रेल मंत्री

उनके निधन के साथ एक युग का अंत हो गया। उनकी जगह शायद ही कोई भर पाए।
प्रकाश करात, माकपा महासचिव

उनसे मुलाकात के पल मेरी स्मृति में हमेशा रहेंगे।
सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष


सोचिये क्या उस महापुरुष के लिए ये शब्द काफी है ...नहीं तो फिर सोचिये की हमसे गलती कहाँ हुई हैहम ब्लॉगजगत की तरफ से "ज्योतिदा" को अपनी श्रधांजलि पेश करते है .......




1 comment:

Urmi said...

पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बासु के निधन पर श्रधांजलि अर्पित करती हूँ!