मेरे और माँ के बीच अभी बाते ही चल रही थी की वो चल बसी .... शायद किसी जानवर ने उसे चोट पहुचाई थी ।
चलिए ये तो एक दुर्घटना थी ', पर हम और आप इस नन्ही सी जान का अस्तित्व मिटने पर क्यों लगे है ,आप कहेंगे की ये तो सरा सर आरोप है हमारे उपर पर यह सच है हम इस नन्ही का आशियाना उजड़ने में लगे है , जाने अनजाने हमी इसके गुनहगार है ।
जगह जगह अट्टालिकाए ,मोबाइल टावर खड़े होते जा रहे है ये पंछी कहाँ रहेगा ? दादी-नानी की कहानियों में आने वाली यह चिड़िया अब खुद कहानी बनने के कगार पर खड़ी है । आज बनारस , लखनऊ , रायबरेली , इलहाबाद हर जगह इन्हें कम होते देखा जा सकता है अब ये कभी कभी ही नजर आती है । जो लोग कभी इस की आवाज़ सुन कर अपना "बिस्तर" छोड़ा करते थे , आज वो कारखानों के सायरन से उठा करते है , शायद वो मजबूर है , या फिर कुछ और ?.....
आखिर इन सब का ज़िम्मेदार कौन है सोचिये ..............?