आज विश्व महिला दिवस है इसकी पूर्व संध्या पर दिल्ली मेंजो हुआ क्या वो हमारी संस्कृति और सभ्यता को शोभादेता है । हाँ पुरे देश से आए लोगों ने इस अजीबमानसिकता के खिलाफ एक प्रदर्शन किया । .....वो अजीबमानसिकता क्या है...लड़कियों को गर्भ में ही मौत की नींदसुला देना उसे ममता की मूरत अपनी माँ के हाथो में आनेसे पहले ही इस दुनिया के हनथो से छीन लेना। कहा का है ये इंसाफ क्या लड़कियां किसी से कम है ,आवाज़आएगी नहीं । रविवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर ‘ग्लोबल वॉक फॉर इंडियाज़ मिसिंग गर्ल्स’ के बैनर तले कई लोग इक्कठा हुए । इन लोगों का मक़सद था कन्या भ्रूण हत्या के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करना । ...
जब १९९४ में भारत सरकार ने भ्रूण हत्या के ख़िलाफ़ ‘प्री नेटल डायगनॉस्टिक टेकनीक्स एक्ट’ यानि पीएनडीटी एक्ट बनाया लेकिन यह क़ानून भी सख्ती से लागू नहीं हो पाया है। यह कानून ७ अध्याय में भारतीय कानून कीकिताब में कही गम सा हो गया लगता है एक तरफ जहाँ हर जगह पैथोलोजियों के बहार यह स्लोगन लिखा होता हैकी ..गर्भ में भ्रूण का लिंग परिछाद करना कानूनन अपराध है वही उसके बाहर "दलाल" उन वहशी माँ-बाप से सौदातय करते अक्सर दिख जाते है जिन्हें अपनी लड़की से प्यार नहीं ......
क्या ल;अद्कियाँ किसी बात में लडको से कम है क्या ...मुझे तो लगता है की यह समाज अभी भी यही सोचता है।
सब बेवक़ूफ़ है क्यों करते है भारत को विकसित करने की बात इन्हें तो बस ऑफिस में बैठ के मज़ा लेना है इनकीटोपी उनके सर करना है ....समाज में क्या हो रहा है इनसे क्या मतलब .........
अफ़सोस होता है मुझे । चल कैमरे चल यहाँ से कही और चलते है ....
और आप सोचिये ...,........
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