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Saturday, October 8, 2011

" लाठी और गाली के बीच भरत मिलाप "

वाह भाई वह क्या बात है ..हमें तो पता ही नहीं चलता की भक्तों को उनकी भक्ति की कीमत कैसे चुकानी पड़ती है ..हमारे महेश भाई तो बेचारे फस ही गए ......पर फैज़ वो तो पत्रकार है न तो फिर उन्हें ये सब क्यों सहना पड़ा ...अरे कैमरे क्या बडबडा रहा है ....अरे फैज़ महेश भाई है न अपने भदोही वाले उन्ही का सन्देश आया है...उनके यहाँ कल भारत मिलाप गलियों और लाठियों के बीच संपन्न हुआ .ले तो भी पढ़ ले उन्ही की ज़ुबानी .....

कल हमारे यहाँ का एतिहासिक 100वां भरतमिलाप था और मै भी पत्रकारिता से दूर होकर एक आम आदमी की तरह उमड़े जनसैलाब में शामिल हो गया ! लोग धक्का मुक्की करते रहे तभी वहां पुलिस की गाडी आ धमकी ! पुलिस के जवान रोड को खाली करने लगे रोड पर मै भी खड़ा था कोतवाल साहब ने तो पहचान लिया जो मेरी इज्जत कुछ देर तक बची रही उन्होंने मेरा हालचाल पूछा और चलते बने ! तभी राम रथ वहां पंहुचा और पुलिस के जवान रोड ख़ाली कराने के लिए लाठियाने लगे और दो चार गन्दी गालियाँ भी सुनने को मिली ! मुझे अपने ऊपर आश्चर्य हुआ की मैंने कैसे सब कुछ सह लिया पर क्या करूँ भगवन राम को देखने में मै बहुत मग्न था और पुलिस वालों के पास मुझे पहचानने का टाइम भी नहीं था ! इसी तरह लाठियों और गालियों का प्रयोग कर पुलिस प्रशासन ने मेले को संम्पन्न कराया !

देखा फैज़ आस्था पर गली और लाठी भरी पड़ती नज़र आई वहां ....सही है कैमरे पर क्या करेगे हम और वो सब तरफ " माया का डंडा" ऐसा चल रहा है की वर्दी धरी भी सन्किया गए है उन बेचारो को भी तो अपने कर्तव्य का निर्वाह करना है पर अच्छा है की भारत मिलाप सकुशल संपन्न हो गया ......और आस्था के सैलाब में व्यक्ति सब कुछ भूल कर भक्तिमय हो जाता है , चाहे वो पत्रकार हो या कोई हो ....महेश जी आप को बधाई इन गलियों और लाठियों से बचने की ........

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