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Saturday, December 5, 2009

"भारतीय एकता के सत्रह साल"

मेरा कैमरा आज मुझसे पूछ रहा था यार फैज़ आज ६ दिसम्बर है ना ,मैंने कहा हाँ आज कोई काला दिवस मनायेगा कोई शोर्य दिवस मनायेगा । तुम ठीक कहते हो फैज़ पर क्या किसी ने इस ध्यान दिया है की इन सत्रह सालों में हमारी एकता और अखंडता कहाँ तक पहुँची है.............
जी हाँ मेरा कैमरा सच कह रहा है क्या किसी ने इन सत्रह सालों में सोचा है की इससे हमारे देश की एकता और अखंडता को कितना नुक्सान पहुंचा है । सभी लोग चाहे वो समाज के ठेकेदार हो या फ़िर उज्वल वस्त्र धारद किए राजनेता जो सिर्फ़ इस दिन भाषद या फ़िर शोक सभा का आयोजन करते है । या फिर इन सत्रह सालों में आई गई केन्द्र या राज्य सरकार ने इस बारे में सोचा ? कभी किसी राजनेता ने इससेबात से हुए नुक्सान के बारे में कहा? नही न लेकिन हमारे ये "काठ के उल्लू" वो इससे पर भी हस्ते हुए कह देंगे की हम तो हर चुनावी भाषद में इससे बात को दोहराते है उत्तर प्रदेश में । अभी हाल ही में लिब्राहन आयोग की रिपोर्ट आई तब सभी तरफ़ चीख पुकार मच गई की हमने नही किया कुछ उन्हूने किया आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया यानि फ़िर एकता का हनन हुआ संसद जसी पवित्र जगह पर लोग आपस में लादे लेकिन क्या हुआ ,तभी आगई २६/११ की पहली बरसी सभी लोग उसपर बयान बाज़ी करने लगे और भूल गए फ़िर १९९२ के उस भारतीय एकता को डसने वाले दंश को जिसका दर्द आज तक यह भारत माँ नही भूली है । किसी ने सही लिखा था कुछ दिनों पहले अपने ब्लॉग में की लिब्रहान आयोग की जो आग एका-एक लगी थी वो २६/११ को ठंडी पड़ गई ....,....
तो आज ही सोचिये की कहाँ पहूची है हमारी एकता और अखंडता वरना बहुत देर हो जाएगी और ये नेता लोग जनता को ऐसे ही चलते रहेंगे ......

3 comments:

काशिफ जाफरी (शायरे अहलेबैत ) said...

shabaash ager tum or tumhara camera aise i kaam karte rahe to tmhe kaamyaab hone say koi nahi rok sakta

Urmi said...

वाह क्या बात है! इसी तरह से सिलसिला जारी रखिये ! बहुत खूब!

डॉ. मनोज मिश्र said...

happy 2010.