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Tuesday, August 14, 2012

15 अगस्त का दर्द

यार फैज़ कल 15 अगस्त है , आज़ादी का पर्व मुझे एक स्टोरी करनी है 15 अगस्त के बारे में कुछ आइडिया दे कहाँ जाओं की मुझे जनता से बात करने  का मौका मिले । कैमरे तू  ऐसा कर सुबह उठ कर झंडा रोहण के बाद पार्क ,शापिंग माल , या फिर गंगा के उस पर चले जाना बहुत से लोग मिल जाएँगे वहां 15 अगस्त पर बात करने वाले , पर एक कडवी सच्चाई भी जान  ले की वो सब वहां सिर्फ मस्ती  के मूड में गए होंगे उनके लिए 15 अगस्त सिर्फ एक छुट्टी का दिन है न की आज़ादी का पर्व जिसे हमारे पूर्वजों ने बड़ी मुश्किल से पाया है जिसकी वजह से आज हम सर उठा के जीते है । सही कहा फैज़ कल मैंने जब कालोनी के लड़कों से पुछा तो वो बोले कैमरा भैया 15 अगस्त को हमारी छुट्टी है हम फिल्म देखने जाएँगे . किसी ने कहा की मम्मी पापा पिकनिक पर चलेंगे हम सब को ले कर ..मैंने  जब पूछा की हम  15 अगस्त क्यों मानते है तो सिर्फ  एक बच्चा ही बता पाया की उस दिन हमें आज़ादी मिली थी और जानते हो वो बच्चा बगल के रमेश भाई के यहाँ वेल्डिंग का काम करता है पढता नहीं है । आखिर कैसे जगेगा देश जब हमारी आने वाली पीढ़ी देश का इतना अहेम दिन भूल जाएगी तो क्या होगा । अगर हम आज नहीं जगे तो कल क्या होगा आइये एक संकल्प ले की कल हम 15 अगस्त के बारे में लोगों को जागरूक भी करना है वरना यहाँ दिन महज़ छुट्टी का दिन हो कर रह जाएगा ।

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