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Wednesday, August 22, 2012

"ज़ार-ज़ार रोई शहनाई"

यार फैज़ देखा कैसे समाज भूल जाता है लोगों को ........अरे नही समाज नही भूला ये तो सरकार है जो भूल गई  ,वरना सभी सामजिक लोग पहुचे थे वहां । ..........

आप सोच रहे होंगे की मै किस के बारे में बात कर रहा हूँमै भारत के उस नायब रत्न की बात कर रहा हूँ जिसकी भरपाई सदियों तक कोई नही कर सकता ....भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान साहब की जिनकी कल पाँचवी पुण्यतिथि थी । ...जब मै वहां पहुँचा तो वहां उनके चाहने वालों का तांता लगा हुआ थासभी नम आंखों से उन्हें श्रधा सुमन अर्पित कर रहे थे ।  । उनके छोटे पुत्र जामिन हुसैन उनकी कब्र के बगल में बैठे उनकी पसंदीदा मातमी धुन "मारा गया है तीर से बच्चा रबाब का " और परदेस में बहेन को चले हो किस पे छोड़ के "बजा रहे थेजिसे वो हर साल मोहरम के महीने में मुहर्रम को बजाते थे जिसे सुन ने के लिए दुनिया के कोने कोने से लोग आते थेलेकिन आज उनकी पुण्यतिथि पर शहर का सांस्कृतिक जगत  भूल गया ....क्या एक भारत रत्न की यही इज्ज़त है हमारे देश में

जब खान साहब का देहावसान हुआ था तब तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह ने यह घूश्ना की थी की खान साहब की कब्र की जगह पर एक भव्य मकबरा बनवाया जाएगा तथा लखनऊ में एक संगीत एकादमी तथा लाख रूपये के संगीत अवार्ड का एलान किया थापर आज तक नाटो मकबरा ही बना और नाही कुछ और ...इस बात से उनके चाहने वालों में काफ़ी रोष दिखा ।आज एक बार फिर वही लोग सत्ता में है पर कोई भी उनका प्रतिनिधि यहाँ नहीं मैजूद था 

बात की तह तक जाने के लिए मेरे कैमरे ने बात की उनके परिवार वालों से ....जिनका कहना था की सरकार तो हमें भूल सी गई है जब "अब्बा " जिंदा थे तो सब आता था लेकिन अब तो कोई पूछता भी नही । आज सभी प्रशासनिक अधिकारी  शहर मेयर मोहले  जी और  विधायक अजय राय जी आए समाज सेवी दयाशंकर मिश्र दयालू जी भी पहुचे ।

हमने बात की उनके परिवार से जुड़े सैयेद मुनाजिर हुसैन "मंजू" से जिनके यहाँ से उठने वाले मुहर्रम के जुलूस में "उस्ताद" शहनाई पर आँसू का नजराना पेश करते ............"मेरे हिसाब से मामले को बहुत ज़्यादा खींचा जा रहा है जो मकबरे के लिए ज़मीन का विवाद है ,प्रशासन की ये जो उदासीनता है ,खान साहब के सम्मान के प्रति ठीक नही ....

आप ही बताइए की क्या हमारे देश के नायाब हीरों की यही कदर होगी उनके मरने के बादअगर ऐसा ही चलता रहेगा तो कल को कोई गांधी जी और जवाहर लाल नेहरू जी को भी नही पुछेगा । आज शहनाई रोई है कल पूरा हिन्दुस्तान रोयेगा ..............

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