सभी कहते है की भारत देश का क़ानून सबसे अच्छा है । लेकिन मैकहता हूँ की यहाँ का कानून सबसे ख़राब है । आप सोच रेहे होंगे मैंने ऐसा क्यों कहा तो सुनिए .........ये वही क़ानून है न जिसे कभी पूजा जाता था कहा जाता है की या सभी नागरिकों को सामान रूप से जीने का हक देता है लकिन अब तो कोर्ट-कचहरियाँ गडे मुर्दे भी उखाड़ने से गुरेज़ नही करती । ऐसे आदेशों की बयार सी आगई है जिनमे लाश को कब्र से बहर निकल कर उनका दुबारा पोस्टमार्टम किया गया । आख़िर क्या वजह है की डॉक्टर सही से पोस्टमार्टम रीपोर्ट नही बनते और फ़ैसला सुननाने में दिकतें आती है । ...........
आप ही बताये यदि कोई हिन्दू लड़की या व्यक्ति मारा जाता jammu में तो आज हाईकोर्ट उसका दुबारा पोस्टमार्टम कराने का आदेश कैसे देती । क्यों नही ऐसे डॉक्टरों को दंड मिलता जो ग़लत या भ्रामक रीपोर्ट बनते है। कभी आप ने सोचा है की क्या बीतती है उनके परिजनों पर जब उनकी लाश दुबारा कब्र से बाहर निकाली जाती है। ....अभी हाल ही में हमारे बनारस में भीएक दहेज़ प्रताडित महिला का शव कब्र से बाहर निकला गया जिसको लेकर कई दिनों तक चर्चो का बाज़ार गर्म रहा फिर सभी खामोश हो गए । आख़िर कब तक खामोश रहेगा हमारा समाज । क्या समाज के ठेके दार आज भी अपने हित के लिए खामोश रहेंगे ? क्या हाईकोर्ट इस पर भी कोई प्रावधान बनाएगी या फिर ऐसे ही लोगों की भावनाओं को चोट पहुचती रहेगी । क्या उसे सिर्फ़ समलैंगिक लोगों के हित का ध्यान आया है या फ़िर समाज की इस घटना पर भी कोई क़ानून बनने का ख्याल आया है । उसे चाहिए की कोई ऐसा क़ानून बनाये की आतंरिक परीछाद रिपोर्ट में जो बातें हो वो एक बार में सही लिखी गई हो नाकि ग़लत , ताकि किसी भी महिला या पुरूष को मरने के बाद न सताया जाए। ..........
आप ही बताये क्या मे ग़लत कह रहा हूँ क्या किसी धर्म में ऐसा लिखा गया है की मरने के बाद व्यक्ति को यातनाए दी जाए वो भी बार बार । सोचिये और मुझे बताइए मे इंतज़ार कर रहा हूँ उन माँ-बाप की तरफ़ से जिन की बेटियों और लड़कों के साथ ऐसा हुआ ..............
5 comments:
काश, कानून के कर्ता धर्ता भी इन भावनाओं की परवाह करते।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
jakir bhai shee kh rhe hai.
badhiya hai yaar.sahi likha hai
sahi vivran laga,,,,,
वाह बहुत बढ़िया और बिल्कुल सही लिखा है आपने! लिखते रहिये!
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