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Tuesday, January 12, 2010

"नदियाँ कराह रही है"

आप सभी को नूतन वर्ष की शुभकामनाये। वर्ष का शुभारम्भ हो चुका है, सभी लोगों ने इसका स्वागत अपने तरीके से किया । किसी ने पार्टी दी ,किसी ने आतिशबाजी की ,कोई आज तक नहीं उठा ,प्रकृति ने भरी ठण्ड और कोहरे से नए वर्ष का स्वागत किया । साथी ही चन्द्र ग्रहण और अब १५ तारिख को सदी का सबसे लम्बा सूर्य ग्रहण .......

हैं न सब कमाल की बात ॥नव वर्ष के आगमन की रात लोगोने जमकर बिमारियों को बुलावा दिया आप सोच रहे होंगे की मै क्या कह रहा हूँ लेकिन ये सच है, जब चरों तरफ धुआं ही धुआं था तो कुछ लोग खांस रहे थे शायद उनका लीवर उस को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था । ......उसी रात मेरा कैमरा भी बीमार पड़ गया मैंने उसे डोक्टर को दिखाया तो वो कहने लगे की दूषित वायू और दूषित पानी पिने से ये बीमार पड़ गया है । मैंने डाक्टर साहब से पूछा की आखिर उससे बचने का उपाय क्या है ,तो वो बोले चारों तरफ लोग अपने स्वार्थ के लिए पेड़ पौधों को काट रहे है नदियों को दूषित कर रहे है ,जिसकी वजह से लोगों में ये सारी बीमारियाँ बढ रही है। इनसे बचने के लिए हमें कम से कम एक पौधा हर वर्ष लगाना चाहिए ,साथ ही नदियों में होने वाले प्रदूषद को रोकना चाहिए ।

चलिए ये तो डाक्टर साहब की बात हो गयी लेकिन जहाँ लाखों का मजमा होगा वहां इस बात पर कौन ध्यान देगा की नदियों को प्रदूषद से बचाना है । मै हरिद्वार में शुरू हो रहे कुम्भ और इलाहाबाद के माघ मेले की बात कर रहा हूँ लोग अब जल के लिए प्लास्टिक के गैलन और शीशी का इस्तेमाल करेंगे ,नदी के पानी में ही अपने कपडे धोयेंगे ,बर्तन मान्जेंगे । रोज़ कई टन गन्दगी पवित्र जल में प्रवाहित होगी और उस पवित्र जल को अपवित्र करेगी ।
क्या आज भी आप के घर में गन्गा जल जब प्लास्टिक की शीशी में ले जाते है तो घर के बड़े बुजुर्ग नाराज़ नहीं होते । क्यों पुराने ज़माने में लोग ताम्बे के पात्रों का इस्तेमाल करते थे जल को रखने के लिए क्योंकि ताम्बे के अंदर वो तत्व मौजूद है जो जल को शुद्ध करता है । क्या आप के घर में आज भी गंगा जल रखने के लिए ताम्बे का पात्र नहीं है ? है ,तो फिर क्यों हम इस्तेमाल करे "शीशी" का ।
मै किसी की भावनाओ को ठेस नहीं पहूचाना चाहता ,लेकिन सोचिये .....
आएये इस नूतन वर्ष में एक संकल्प करे की अपने और अपने देश के लिए एक पौधा अवश्य लगायेंगे और पवित्र नदियों को प्रदूषद मुक्त करने के लिए जी जान लगा देंगे ।प्लास्टिक का उपयोग कम से कम करेंगे ............

2 comments:

Udan Tashtari said...

अच्छा संकल्प...हम साथ हैं.

डॉ. मनोज मिश्र said...

सही संकल्प है और होना भी चाहिए.