यह भाग इस रोचक जानकारी का अंतिम भाग है । जैसा की मैंने पिछले भाग में अंत में कहा था की हम अगले भाग में "अन्ना - रस्कला" की बात करेंगे तो आप सभी ये समझ गए होंगे की मै तमिल फिल्मो के पोस्टरों की बात कर रहा हूँ ।
गोद में सर रखकर लेती रहती थी ।
यह भाग इस रोचक जानकारी का अंतिम भाग है । जैसा की मैंने पिछले भाग में अंत में कहा था की हम अगले भाग में "अन्ना - रस्कला" की बात करेंगे तो आप सभी ये समझ गए होंगे की मै तमिल फिल्मो के पोस्टरों की बात कर रहा हूँ ।
गोद में सर रखकर लेती रहती थी ।
पोस्टर में भी एक उबाल देखने को मिलता है ये क्या है मुझे नहीं पता पर अब पोस्टर का ज़्यादातर भाग हीरोइने ही झटक लेती है हीरो तो बेचारा आधा अदृश्य रहता है । या फिर हीरो और हिरोइन का सीन होता है कुल मिलकर हम यह कह सकते है की बंगला सिनेमा के पोस्टर भी अब रोमांस और प्रेम के अधीन हो गए है जहाँ सिर्फ हीरो हिरोइन को ही जगह मिल पाती है बाकि सब एक लाइन से पोस्टर के एकदम नीचे होते है । पोस्टर के बीचो बीच फिल्म का नाम लिखा होता है जो ज़्यादातर बंगाली भाषा या इंग्लिश में होता है ।
आएये बात को आगे बढ़ाते है आज हम बात करेंगे पुरानीफिल्मो की जिन फिल्मो में हीरो की ही-मैन की छवि पेश की जाती थी यानि हीरो हमेशा उची उची फेकम्छाप मचाये रहता था । ओं फिल्मो के पोस्टरों में हीरो या तो अकेला दिखाई पड़ता था या फिर अपनी माँ के आँचल में सर छुपाये बैठा रहता था । या हीरो के माँ बाप विलेन के आगे अपने जाते जाते तो ये हुए दिखाए जाते थे, साथ में हीरो का बचपन का सीन होता था जो अपनी माँ को छुड़ाने की भरपूर कोशिश करता था । या सबसे ज्यादा सिर्फ और सिर्फ हीरो - हिरोइन ही पुरे पोस्टर पर अपना कब्ज़ा जामये रहते थे , जिसमे एक दो भाव्पूर्द दृश्य होते थे । मैंने पोस्टरों को तो नहीं देखा उस ज़माने के लेकिन हाँ इन्ही दिनों मेरे हाथ में प्रदीप कुमार जी की एक यादगार फिल्म "भीगी रात " लग गयी फिर क्या था मैंने पूरी फिल्म देखि तब समझ में आया की क्या होता होगा उस ज़माने के पोस्टर में । उस फिल्म कॉलेज से ताज़ा ताज़ा निकले प्रदीप कुमार जी मीना कुमारी जी से इश्क फरमाते है । एक सीन में अशोक कुमार जी को बताते है की मे कॉलेज में निशाने बाज़ी में चैम्पियन था तो दुसरे में तैरने में यानी की अगर पढाई की बात हो तो वहां भी चैम्पियन था यानि हर छेत्र में चैम्प ,लेकिन मैंने अपने एक बुज़ुर्ग से पुछा की क्या कभी पुराणी फिल्मो के पोस्टरों पर हीरो का कॉलेज गोइंग सीन होता था की नहीं तो वो बोले अरे बिटवा अगर इ सीन पोस्टर पर दिखाए तो फिलिम कौनो नहीं देखे जाते सब तो विलेन का वाद विवाद देखने जाते या फिर उनकी लव स्टोरी देखने जाते....कुल मिलाकर हम कह सकते है की पुराने ज़माने में पोस्टर लव और रोमांस के चक्कर में पड़ा हुआ था राउं लोगन के राम राम आप सब इ सोचत होइए की इ का इ तो भोजपुरी बोले लगन बाकि बात इ है की आज हमनी भोजपुरी की बात करल जाई त ....ठीक है तो सुनिए मेरा कैमरा जब भोजपुरी फिल्मो के बारे में बता रहा था तो वो मुझसे भोजपुरी में ही बात कर रहा था सो मैंने भी सोचा ........
२- जहाँ तक भोजपुरी पोस्टरों की बात है तो सब जानते है की भोजपुरी की ज़बरदस्त "फिल्म नदिया के पार "पर इसका पोस्टर बड़ा ही सादा था सिर्फ पोस्टर में सचिन जी और उनकी को स्टार ही जगह पा पाए थे । आज कल के पोस्टर की बात करे तो भोजपुरी भाषा के पोस्टर में बहुत कुछ इनकार्पोरेट करना पड़ता है । तीन-चार पेज में हीरो-हिरोइन , दो पेज में विलेन , तीन पेज में हीरो के माई-बाबु, और दो पेज में प्रदर्शनी डांस करने वाली लड़की या सी -ग्रेड हिरोइन , एक साइड में विलेन का बाप हिरोइन से ज़बरदस्ती करता हुआ ,और हाँ एक बात और इ फोटू- सोटू से कुछ नहीं होता भोजपुरी पोस्टर का जब तक पोस्टर के नीचे फिलिम के कम से कम ५ गाना का पहिला दो लाइन न हो , मतबल कुल मिलकर १० लाइन की जगह खली गाना खातिर । अब इ १० लाइन में कम से कम ४ लाइन ता डबल मीनिंग का हैबे करेगा न भाई । और साथ में मुझिक दिरेक्टेर का नाम और गाना लिखने वाले का नाम । कुल मिलाजुलाकर लगता है की दिरेक्टेर पूरा फिलिम्वा पोस्टर पे ही दिखने की तैय्यारी किया रहा लेकिन थोडा सा जगह कम पद गया , इसलिए पूरा फिलिम देखे करतीं सलीमा हाल के अंदर जाएके पड़ी .....
तो ये था भोजपुरी पोस्टर का सफ़र अगले भाग में हम पुरानी ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मो के पोस्टर की चर्चा करेंगे जिसमे हीरो-हिरोइन गले में हाँथ डाले नज़र आते थे .......