Monday, March 29, 2010
"भारतीय सिनेमा जगत के पोस्टर -अंतिम भाग "
Saturday, March 20, 2010
"भारतीय सिनेमा जगत के पोस्टर-बदलता चेहरा भाग ४ "
पुराने जामने की बंगाली फिल्मो के पोस्टर में सभी विलेन बन्दूक लिए हुए पोस्टर के कोनो में चिपके रहते थे उनके साथ में हीरोइने होती थी जो अधिक कपड़ों में भी कम ढकी होती थी ऐसा लगता था की वो विलेन को दावत दे रही हो , और बीच में हीरो और उसके दोस्तों कइ मरियल से फोटो होती थी की अब दम निकला की तब दम निकला , या फिर अकेले हीरो बाबु होते थे जो अपनी प्रेमिका के वियोग में सुध बुध खो चुके थे पुरे पोस्टर पर उन्ही का कब्ज़ा होता था
आज कल की बंगला फिल्मो के पोस्टर में भी एक उबाल देखने को मिलता है ये क्या है मुझे नहीं पता पर अब पोस्टर का ज़्यादातर भाग हीरोइने ही झटक लेती है हीरो तो बेचारा आधा अदृश्य रहता है । या फिर हीरो और हिरोइन का सीन होता है कुल मिलकर हम यह कह सकते है की बंगला सिनेमा के पोस्टर भी अब रोमांस और प्रेम के अधीन हो गए है जहाँ सिर्फ हीरो हिरोइन को ही जगह मिल पाती है बाकि सब एक लाइन से पोस्टर के एकदम नीचे होते है । पोस्टर के बीचो बीच फिल्म का नाम लिखा होता है जो ज़्यादातर बंगाली भाषा या इंग्लिश में होता है ।
तो ये था बंगला फिल्मो का पोस्टर पुराण अब अगले भाग में हम "अन्ना-रास्कला" की बात करेंगे ......
Wednesday, March 17, 2010
"भारतीय सिनेमा जगत के पोस्टर - बदलता चेहरा भाग ३"
तो ये था तीसरा भाग अगला भाग जल्द ही लिखने की कोशिश करेंगे हम दोनों जहाँ बंगला सिनेमा के पोस्टरों की बात होगी ।
आप सभी को मेरे और मेरे कैमरे की तरफ से नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये .........
Monday, March 15, 2010
"भारतीय सिनेमा जगत के पोस्टर- बदलता चेहरा भाग २ "
राउं लोगन के राम राम आप सब इ सोचत होइए की इ का इ तो भोजपुरी बोले लगन बाकि बात इ है की आज हमनी भोजपुरी की बात करल जाई त ....ठीक है तो सुनिए मेरा कैमरा जब भोजपुरी फिल्मो के बारे में बता रहा था तो वो मुझसे भोजपुरी में ही बात कर रहा था सो मैंने भी सोचा ........
२- जहाँ तक भोजपुरी पोस्टरों की बात है तो सब जानते है की भोजपुरी की ज़बरदस्त "फिल्म नदिया के पार "पर इसका पोस्टर बड़ा ही सादा था सिर्फ पोस्टर में सचिन जी और उनकी को स्टार ही जगह पा पाए थे । आज कल के पोस्टर की बात करे तो भोजपुरी भाषा के पोस्टर में बहुत कुछ इनकार्पोरेट करना पड़ता है । तीन-चार पेज में हीरो-हिरोइन , दो पेज में विलेन , तीन पेज में हीरो के माई-बाबु, और दो पेज में प्रदर्शनी डांस करने वाली लड़की या सी -ग्रेड हिरोइन , एक साइड में विलेन का बाप हिरोइन से ज़बरदस्ती करता हुआ ,और हाँ एक बात और इ फोटू- सोटू से कुछ नहीं होता भोजपुरी पोस्टर का जब तक पोस्टर के नीचे फिलिम के कम से कम ५ गाना का पहिला दो लाइन न हो , मतबल कुल मिलकर १० लाइन की जगह खली गाना खातिर । अब इ १० लाइन में कम से कम ४ लाइन ता डबल मीनिंग का हैबे करेगा न भाई । और साथ में मुझिक दिरेक्टेर का नाम और गाना लिखने वाले का नाम । कुल मिलाजुलाकर लगता है की दिरेक्टेर पूरा फिलिम्वा पोस्टर पे ही दिखने की तैय्यारी किया रहा लेकिन थोडा सा जगह कम पद गया , इसलिए पूरा फिलिम देखे करतीं सलीमा हाल के अंदर जाएके पड़ी .....
तो ये था भोजपुरी पोस्टर का सफ़र अगले भाग में हम पुरानी ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मो के पोस्टर की चर्चा करेंगे जिसमे हीरो-हिरोइन गले में हाँथ डाले नज़र आते थे .......
Sunday, March 14, 2010
"भारतीय सिनेमा जगत के पोस्टर- बदलता चेहरा "
१- पुराने ज़माने में पोस्टरों में कभी हेरोगिरी करता हुआ हीरो ,और हिरोइन्गिरि पर उतारू हिरोइन तो रहती ही थी , परम चिरकुटई करता हुआ हीरो का कामेडियन दोस्त भी पोस्टर में चिपकना नहीं भूलता था । इन लोगों से थोड़ी जगह सेव कर के विलेन भी पोस्टर में अपनी जगह सुरछित कर लेता था और उसे भी एक बन्दूकके साथ छाप दिया जाता थाकुल मिलकर बड़ा ब्म्फाट पोस्टर बनाया जाता था , ताकि पब्लिक सिनेमाघर की तरफ दौड़ लगा दे । लोग फिल्म देखने के बाद ये भी कहते सुने जाते थे की अगर जितनी मेहनत पोस्टर पर की गयी है अगर फिल्म पर करते तो फिल्म सुपरहिट होती ।
आज कल के ज़माने पोस्टर की बात करे हिंदी सिनेमा जगत की तो बात एकदम अलग हो जाती है । पोस्टरों में बेचारे कामेडियन और विलेन के लिए जगह ही नहीं बची है । पुरे पोस्टर पर हीरो हिरोइन का कब्ज़ा हो चूका है । हीरो अपने सिक्स पैक - ८ पैक दिखता रहता है यानि पोस्टर देखकर ये कोई नहीं कह सकता की ये हीरो है फिल्म का या विलेन कुल मिला जुलकर ये कहा जा सकता है की आज कल का पोस्टर देख कर सिर्फ और सिर्फ दुविधा बढती है की फिल्म में हीरो कौन है, कौन हिरोइन है , कौन विलेन है ..........
तो ये था हिंदी सिनेमा जगत का पोस्टर अगले भाग में भोजपुरी की बात होगी तब तक के लिए आज्ञा .....
Thursday, March 4, 2010
"काशी की होरी"
Monday, March 1, 2010
"हमारा देखिये चेहरा बजट की मार है - होली"
अहा , क्या चीज़ है रंगों का प्यारा मेल - होली में , फरखाबादका जैसे है खुल्ला खेल - होली में ।
छिछोरों - शोहदों की देख धक्कमपेल - होली में , किसी को बाह के घेरे किसी को जेल - होली में ।
न कोई पराया है न कोई बेमेल - होली में , बिना पहिये बिना पटरी के चलती रेल है - होली में ।
व्यवस्था और गुंडों का हुआ फिर मेल - होली में , करें क्या , सिर्फ जनता का निकलता तेल - होली में ।
उमंगों और मस्ती की है रेलमपेल - होली में , उधर लथ्मारियों में चली - ठेलमठेल - होली में ।
इशारों और फुहारों की लगी है सेल - होली में , कन्हैया भेजता राधा को अब ई मेल - होली में ।
यह कविता पढ़कर मुझे भी कुछ तुकबंदी करने की सोची और इसी लयमें कुछ लिख डाला जो मैंने होली के हुडदंग में नज़र आया .......
बड़ी दमदार होली है , बड़ी तैयार है - होली , है खली घर मगर पूरा भरा बाज़ार है - होली ।
ये डाकू ,चोर, रहजन है , बड़ी बटमार है - होली , हमारा देखिये चेहरा बजट की मार है - होली ।