हमारा भारतीय समाज काफी दिनों से फिल्मो का मज़ा ले रहा है । ये समाज शुरुआत से ही फिल्मो का आधा मज़ा उनके पोस्टर देख कर लेता आया है । जैसे जैसे फिल्मो को बनाने की सोच बदली वैसे ही वैसे उनके पोस्टर भी, मेरे कैमरे ने भी इस बात का जायजा लेने की सोची और निकल पड़ा अपनी खोज पर , आज मई उसका पहला भाग यहाँ पेश कर रहा हूँ जिसमे शुरुआत हिंदी सिनेमा के पोस्टरों से हुई है .............
१- पुराने ज़माने में पोस्टरों में कभी हेरोगिरी करता हुआ हीरो ,और हिरोइन्गिरि पर उतारू हिरोइन तो रहती ही थी , परम चिरकुटई करता हुआ हीरो का कामेडियन दोस्त भी पोस्टर में चिपकना नहीं भूलता था । इन लोगों से थोड़ी जगह सेव कर के विलेन भी पोस्टर में अपनी जगह सुरछित कर लेता था और उसे भी एक बन्दूकके साथ छाप दिया जाता थाकुल मिलकर बड़ा ब्म्फाट पोस्टर बनाया जाता था , ताकि पब्लिक सिनेमाघर की तरफ दौड़ लगा दे । लोग फिल्म देखने के बाद ये भी कहते सुने जाते थे की अगर जितनी मेहनत पोस्टर पर की गयी है अगर फिल्म पर करते तो फिल्म सुपरहिट होती ।
आज कल के ज़माने पोस्टर की बात करे हिंदी सिनेमा जगत की तो बात एकदम अलग हो जाती है । पोस्टरों में बेचारे कामेडियन और विलेन के लिए जगह ही नहीं बची है । पुरे पोस्टर पर हीरो हिरोइन का कब्ज़ा हो चूका है । हीरो अपने सिक्स पैक - ८ पैक दिखता रहता है यानि पोस्टर देखकर ये कोई नहीं कह सकता की ये हीरो है फिल्म का या विलेन कुल मिला जुलकर ये कहा जा सकता है की आज कल का पोस्टर देख कर सिर्फ और सिर्फ दुविधा बढती है की फिल्म में हीरो कौन है, कौन हिरोइन है , कौन विलेन है ..........
तो ये था हिंदी सिनेमा जगत का पोस्टर अगले भाग में भोजपुरी की बात होगी तब तक के लिए आज्ञा .....
3 comments:
aglee ktha rochk hogee,aabhar.
दिलचस्प...अगले भाग का इन्तजार.
बहुत ही सुन्दर, रोचक और दिलचस्प पोस्ट रहा! अब अगली कड़ी का बेसब्री से इंतज़ार है!
Post a Comment