तमिल फिल्मो के पुराने पोस्टरों में शुरू से ही हीरो-हिरोइन का ही बोल बाला रहता था पर पहले हीरो प्यार और रोमांस के मूड में रहता था वो हिरोइन के साथ डांस करते हुए या फिर गलबहिया डाले पोस्टर में चिपका रहता था । या हिरोइन उसकी गोद में सर रखकर लेती रहती थी ।
आज कल के तमिल पोस्टरों के बात करे तो यहाँ सिर्फ विलेन तयेप हीरो को जगह मिल पाती है कभी कभी हिरोइन को भी बच कुची जगह में चिपका दिया जाता है । पोस्टर देख्क्लर कोई भी तमिल भाषा को जानकार न हो कह सकता है की यह तो विलेन है पर सर जी यही तो आप की भूल है वह विलेन नहीं फिल्म का सुपर मैं सरीखा हीरो होता है जो पोस्टर के भीमकाय आकर में समाया रहता है । उससे जगह छूट जाती है तो फिल्म का नाम और दिएरेक्तेर का नाम छाप दिया जाता है। आज कल वहां भी कुछ एक पोस्टरों में फिर से हीरो हिरिन एक साथ नज़र आने लगे है यहाँ के पोस्टरों में विलेन के लिए कोई जगह नहीं होती क्योंकि वो फिल्म का सबसे कमज़ोर पात्र होता है वो चाहे जो भी करे हीरो के पास उसकी काट मौजूद होती है ।
तो ये था हिंदी सिनेमा जगत के पोस्टरों का इतिहास आप को यह सफ़र कैसा लगा ज़रूर बताये ......
1 comment:
BAHUT ROCHK LGA,DHNYAVAD.
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