आ गया चुनाव ... आ गए नेता ...... सो गयी जनता ........ हमारा नेता कैसा हो .......भाई जैसा हो.......
ये नारे तो आब आम हो चुके है क्योंकि आ गया है दुनिया के चालबाजों,अमन- चैन को बेचने वालों ,जाती गत राजनीती करने वालो का महा उत्सव ....."चुनाव "फ़िर भी हमारी भोली भली जनता इनका जी जान से सहयोग देती है इन के झूठे आश्वासनों को तूफानी हवा देती है और ये जीत जाते है ........क्या जीतने के बाद ये उन लोगों का हाल पूछते है जो इनके लिए दिन रात लगे रहते है .......इस बारे में मैंने लोगों से पूछातो कुछ ने वही पुराना रटा-रटाया जवाब दिया और बोले "अरे इ साहब लोगन का चोचला है हमका तो सरकार रही तबहूँ काम करना है न रही तबहूँ".....एक दुसरे ग्रेजुएट ने कहा वोट तो हम देते है पर फर्क क्या पड़ता है । तो क्या हम जानवर से बत्तर नही है सोचिये ........मैंने कही एक कही एक कहानी पढ़ी थी वो पेश कर रहा हूँ शायद आप को पसंद आए......
एक कुत्ते ने गधे से कहा -ये कैसा जानवर है इंसान जो बात बेबात लोगों का खून बहाता है हर जगह बेमतलब की आशांति फैलाता है,अपने स्वार्थ के लिए दूसरों का बुरा चाहता है , कागज़ के एक tukade के लिए एक दुसरे को मारता है ,पेट भरा हो तो भी और खाने को मांगता है , न ख़ुद चैन से रहता है न हमें रहने देता है ,हमें तो शर्म आती है ये कहते हुए की हम इनके बीच में रहता है । हमारा बस चले तो इनका सफाया कर दे पर हने इनके जैसे संस्कार नही दिए गए ,हम तो अपनी बिरादरी के लिए जीते मरते है ,हमारी नज़रो में ये सबसे ज़्यादा बुरे है । हमें तो लात मारते है पर ख़ुद तो लात ख्हने के भी काबिल नही है.......पता नही ये जीवन क्यों देते है जब ख़ुद जीने के लायक नही ।
1 comment:
bahut achha.
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