आज पुरा भारत चुनाव की आग में जल रहा है ,और वही किसी मलिन बस्ती में किसी गरीब का पेट भूख की आग में जल रहा है , लकिन किसी को क्या फिक्र ,सब तो अपनी स्वार्थ की रोटियों को इन भूखे पेट की आग में पकाने में लगा हुआ है । आज भारत सरकार दावे करती है की देश की विकास दर ८-९ है ,जबकि देश की कृषि व्यवस्था दिन - प्रतिदिन खस्ता होती जा रही है । आज हमारे यहाँ लोकतंत्र की जोड़ तोड़ चल रही है , पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा है ,लेकिन कृषि की सुध लेने वाला कोई नही दिन प्रतिदिन गहूं की पैदावार गिरती जा रही है । किसान बदहाल है कृषि यंत्रो ,उन्नत बीजों, अच्छे उर्वरको के दाम दिन-बा-दिन बढ़ते जारहे है ।
चावल उत्पादन में भी गिरावट आई है । सरकार अगले ५ सालों में इन सब के उत्पादन पे ज़ोर दे रही है । लेकिन यह सरकारी प्रयास कितना सफल हो पायेगा ये कहना कठिन है । वर्तमान हालत हे इतने कठिन है की भविष्य की कल्पना कर के ही सिहरन दौड़ जाती है । संयोक्त राष्ट्र अमेरिका की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में २६ करोड़ भूखे है । हालाँकि एक राष्ट्रिय सर्वेछ्द के अनुसार भारत में २६ करोड़ से ज़्यादा की आबादी भूख मरी का शिकार है । इन्हे ही गरीबी रेखा से नीचे का आदमी बताया जाता है । जब भारत का एक उद्योगपति (मुकेश अम्बानी ) दुनिया का सबसे धनि बन चुका है ,तब भारत की एक चौथाई आबादी की इस दुर्गति से भारत के असमान विकास को समझा जा सकता है । ऊनेसको की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में ४७% बच्चे कुपोषद के शिकार है ।
भारत में कृषि ,किसान, खित-मजदूर, ग्रामीण-विकास ,सिचाई,सस्ते और उत्तम बीज,प्राकृतिक खाद,प्राकृतिक-बिजली आदि पर दयां नही केन्द्रित किया तो आगामी वर्षों में भूख मरी और भूखो के विद्रोह बहुत ही तेज़ी से विस्तार होगा और इस कथित कृषि प्रधान देश को रसातल में जाने से रोकना कठिन होगा ..............
तो फिर जागिये क्योंकि कब ये भूखमरी आप को अपना शिकार बनाएगी पता नही ...............
4 comments:
सही लिखा है आपने .
आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
आपने बिल्कुल सही फ़रमाया है और बड़े ही सुंदर रूप से लिखा है!
ekdum sahi likha hai aapne
waqayee kabile taareef hai aap ki blog post aur blog...............
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