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Tuesday, April 7, 2009

कहा गए वो लोकलुभावन नारे

मेरा कैमरा अभी -अभी एक चुनावी सभा से लौटा था । मेरे पास आकर बोला फैज़ अब चुनाव की रिपोर्टिंग करने का मन नहीं करता मैंने पुछा क्यों तो कुछ देर रूक के बोला यार अब सारी चुनावी सभाएं नीरस होती है । कुछ मज़ा नहीं आता वह जाने के बाद सिर्फ नेता जी का भाषद सुनने को मिलता है। ..............मै उसकी बात सुन के बोला अच्छा तू उन पुरानी चुनावी सभाओं की बातयाद कर रहा है जहन गगनचुम्बी नारे लगाये जाते थे । ये नारे ही चुनावी समिकरद बदल देते थे । जिसने कई बार प्रत्याशियों को जिताया और हराया है । .............वो बोला हाँ यार अब तो सब नीरस हो गया है पर ऐसा क्यों मेरे समझ में नहीं आया ......मैंने कहा अरे पगले यही तो चुनाव आयोग का चुनावी डंडा है कोई भी कही भी सभा में अपनी प्रशंसा में नारे नहीं लगवा सकता । अगर ऐसा हुआ तो उसका पर्चा रद हो सकता है अगर किसे ने शिकायत की तो .....मेरा कैमरा बोला अच्छा किया फैज़ मुझे बता दिया वरना मै तो आज नारे लगा के आता .......

तो अब आप भी सचेत हो जाये क्योंकि वक़्त बहुत कम है ...........

1 comment:

डॉ. मनोज मिश्र said...

vaki akta kam hai ,jagte raho ,very good