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Saturday, May 30, 2009

"ये माँ क्या होती है"



माँ................... ये लफ्ज़ सुनते ही मन में मिसरी सी घुल जाती है । आज मेरा कैमरा मुझसे ये जानना चाहता है की ये माँ क्या होती है ....वो मुझसे बोला फैज़ तो माँ को इतना क्यों मानता है ,आख़िर माँ है क्या चीज़ । मैंने उससे कहा सुन माँ क्या है ,दुनिया में रहने वाले सभी लोग क्या कहते है माँ के बारे में .............


किसी ने पूछा माँ क्या है ? कौन है ?.......................................


समंदर ने कहा -माँ एक ऐसी हस्ती है ,जो औलाद के सरे गम अपने सीने में छुपा लेती है !


बादल ने कहा-माँ एक कली है , जिसमे हर रंग साफ़ तौर पर नुमाया है !


माली ने कहा- माँ बाग़ का वह खूबसूरत फूल है , जिसमे पुरे बाग़ की खूबसूरती और महक है !


शायर ने कहा- माँ एक ऐसी ग़ज़ल है ,जो हर सुनने वाले के दिल में उतर जाती है !


औलाद ने कहा- माँ ममता की वो दास्ताँ है , जो औलाद के हजारों गम और हर दिल पर कुर्बान हो जाती है !


जज ने कहा- माँ एक ऐसी हस्ती है , जिसकी तारीफ़ के लिए दुनिया में अल्फाज़ नही मिलते !


फरिश्तो ने कहा - माँ वह शख्सियत है , जो औलाद की खुशहाली के लिए हमेशा दुआ करती है !


स्वर्ग ने कहा - माँ वो हस्ती है जिसके कदमो के निचे मेरी रिह्यिश है !


ईश्वर ने कहा - माँ मेरी तरफ़ से कीमती और नायब तोहफा है दुनिया वालों के लिए !


दुनिया कहती है - मुझे माँ और फूलों में कोई फर्क नही नज़र आता !


लकिन मैंने कहा - माँ नूर है ,महक है , फूल है , रंग है , प्रार्थना है , मोहबत है , ममता है , तोहफा है ,जज्बा है और माँ ममता है !...................................


अब मेरा कैमरा मेरे पास बैठा था वो जारो-क़तर रो रहा था और मुझसे पूछ रहा था...फैज़ मेरे पास माँ क्यो नही है । ये तो हुई मेरे कैमरे की बात ,लकिन आज कितने ही लोग है जो अपनी माँ को कुछ नही समझते ,भेज देते है उन्हें वृधा आश्रम में मरने जीने के लिए ,क्या उन्हें नही पता की माँ क्या होती है । अब आप बताइये की आपकी नज़र में माँ का क्या दर्जा है ........

5 comments:

"अर्श" said...

इतना तो असर है मेरी माँ की दुआओं में ।
टूटा हुआ पत्ता भी बसे है फिजाओं में ॥

bahot khub likhaa hai aapne maa pe , halaaki jitni likhi jaye kam hai is shabd pe... badhayee


arsh

jaagte raho said...

maa ke baare me mai bas itna hi kahongi ...........................जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है,
माँ दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है .
achhi post

अजय कुमार झा said...

bahut sundar maa ke baare mein likhte likhte to jindagee bhee kam pad jaayegee...achha likhaa aapne...

डॉ. मनोज मिश्र said...

बहुत उम्दा पोस्ट है भई,बधाई .

Urmi said...

आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! मेरी शायरी के पीछे ये राज़ है कि मैं दिल की गहराई से लिखती हूँ!
बहुत बढ़िया लिखा है आपने ! माँ के बारे में तो जितना भी कहा जाए कम है! आज हम माँ की वजह से ही इस दुनिया में कदम रखे हैं! माँ हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं!